शरीर में किडनी कहां होती है?
किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, इसके बिना हमारा शरीर ठीक से
कोई भी काम करने में असमर्थ होता है। किडनी के बिना शरीर की कल्पना करना भी असंभव
है। हमारे शरीर में दो किडनियां होती है। इसकी जानकारी वैसे हर किसी को होगी। किडनी
हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ पेट के पिछले भाग में स्थित होती है।
अगर किडनी के काम की बात की जाए, तो मूल रूप से किडनी हमारे शरीर में उत्पन्न हुए
जहर को बाहर निकालकर खून की सफाई का काम करते है यानि किडनी हमारे शरीर से क्षार
और एसिड को पेशाब के रूप में शरीर से बहार निकलती है। किडनी के इसी कार्य से हमारे
शरीर में संतुलन बना रहता है। और बाकि सभी अंग अपना-अपना काम सुचारु रूप से कर
पाते है। किडनी के कार्यों की बात करे तो आपको बता दें की किडनी का मुख्य कार्य
खून की सफाई करना होता है इसके अलावा किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य
करती है।
शरीर में किडनी के मुख्य कार्य –
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रक्त का शुद्धिकरण करना - किडनी
निरंतर कार्यरत रहकर शरीर में बनने वाले अनावश्यक और अपशिष्ट उत्पादों को यूरिन के
द्वारा बाहर निकालने में मदद करती है।
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विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना - किडनी
का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विषाक्त पदार्थों को हटाकर रक्त का शुद्धिकरण करना है।
हमारे द्वारा लिए गए आहार, उसमें
प्रोटीन होता है और प्रोटीन शरीर को आरोग्य रखने और शरीर के विकास के लिए आवश्यक
है। प्रोटीन शरीर द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन
इस प्रक्रिया में कुछ अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन भी होता है। इन अपशिष्ट
पदार्थों का संचय हमारे शरीर के अंदर जहर को बनाए रखने में समान है। किडनी रक्त से
विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों को छानकर उसे शुद्ध करती है। यह विषाक्त पदार्थ यूरिन
से विसर्जित हो जाते हैं। साथ ही क्रिएटिनिन और यूरिन दो महत्वपूर्ण उत्पाद है।
खून में इनकी मात्रा का अवलोकन, किडनी
की कार्यक्षमता को दर्शाता है। जब दोनों किडनी खराब हो जाती है,
तो क्रिएटिनिन और यूरिन की मात्रा खून की जांच में उच्च स्तर पर
पंहुच जाती है।
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शरीर में पानी की मात्रा - किडनी
शरीर के लिए जरूरी पानी की मात्रा को रखते हुए अधिक जमा हुए पानी को यूरिन के
द्वारा बाहर निकालती है। जब हमारी किडनी खराब हो जाती है, तो
वह अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता को खो देती है। साथ ही शरीर
में अतिरिक्त पानी एकत्रित होने की वजह से शरीर में सूजन आने लगती है।
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शरीर में अम्ल और क्षार - किडनी
शरीर में सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड,
मैग्नीशियम, फास्फोरस,
बाइकार्बोनेट आदि की मात्रा यथावत रखने का कार्य करती है। ये उपरोक्त
पदार्थ ही शरीर में अम्ल और क्षार की मात्रा के लिए जिम्मेदार होती है। सोडियम की
मात्रा बढने या घटने से दिमाग पर और पोटेशियम की मात्रा बढ़ने या कम होने से दिल
और स्नायु की गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ सकता है। कैल्शियम और फास्फोरस को उचित
रखना और उनके लेवल कैल्शियम और फास्फोरस को उचित रखना और उनके स्तर को सामान्य
रखना हमारे शरीर में स्वस्थ हड्डियों और स्वस्थ दातों के लिए अति आवश्यक है।
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रक्त के दबाव को सामान्य रखें - किडनी
कई हर्मोन बनाती है जैसे – एंजियोटेंसीन
(Angiotensin), एल्डोस्टोरोन
(Aldosterone), प्रोस्टाग्लेन्डिन (Prostaglandin)
आदि इन हार्मोन की सहायता से शरीर में पानी की मात्रा,
अम्लों और क्षारों के संतुलन को बनाए रखती है। इस संतुलन की मदद से
किडनी शरीर में रक्त के दबाव को सामान्य बनाए रखने का कार्य करती है। किडनी की
बीमारी होने पर हार्मोन के उत्पादन, नमक
और पानी के संतुलन में गड़बड़ी से हाई ब्लड प्रेशर होता है।
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रक्तकण के उत्पादन
- रक्त में उपस्थित लाल रक्तकणों का
उत्पादन एरिथ्रोपोएटीन (Erythropoietin) की
मदद से अस्थिमज्जा में होता है। एरिथ्रोपोएटीन किडनी में बनता है। किडनी के फेल
होने की स्थिति में यह पदार्थ कम या बिल्कुल ही बनना बंद हो जाता है,
जिससे लाल रक्तकणों का उत्पादन कम हो जाता है और रक्त में फीकापन आने
लगता है, जिसे एनीमिया यानी रक्त की कमी कहा
जाता है।
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हड्डियों की मजबूती - स्वस्थ
हड्डियों को बनाए रखने के लिए किडनी, विटामिन
डी को सक्रिय रूप में परिवर्तन करती है, जो
भोजन से कैल्शियम के अवशोषण, हड्डियों
और दांतों के विकास और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक होता है।
जानें किडनी की बीमारी और उसके लक्षण के बारे में
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किडनी की बीमारी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं,
लेकिन अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी तब होती है जब बहुत देर हो चुकी
होती है। किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं। जब किडनी 60 से
65% डैमेज हो चुकी होती है, इसलिए
इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर यूरिन
के माध्यम से शरीर से बाहर निकालती है, लेकिन
डायबिटीज जैसी बीमारियों, खराब
जीवनशैली और कुछ दवाओं की वजह से किडनी के ऊपर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण है। डायबिटीज के 30
से 40% मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50% रोगी ऐसे होते हैं,
जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें
डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है।
किडनी की बीमारी के लक्षण –
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हाथ, पैर
और आंखों के नीचे सूजन
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कमजोरी महसूस होना
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थकावट रहना
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बार-बार यूरिन आना
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भूख न लगना या कम लगना
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बार-बार उल्टी आना व उबकाई आना
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मांसपेशियों में ऐंठन
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यूरिन पास करते वक्त जलन या दर्द होना
यह
बीमारी बेहद गंभीर है जिसका एलोपैथी में इलाज नहीं। एलोपैथी डॉक्टर बस डायलिसिस या
किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं, जो बेहद दर्दभरी प्रक्रिया है। वैसे
आयुर्वेदिक उपचार सबसे सफल माना गया है और किडनी की बीमारी को जड़ से खत्म करने
में मदद करता है।
किडनी से बचने के लिए परहेज -
जो लोग स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह की खतरनाक जटिलता का सामना
करते हैं, उन्हें अपने आहार में आवश्यक बदलाव
करने के लिए कहा जाता है। यह एक कठिन कार्य हो सकता है, लेकिन
दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने और तेजी से हुई क्षति को ठीक करने के लिए काम करने
की आवश्यकता है। यह कुछ आहार प्रतिबंध है-
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अपने समग्र प्रोटीन सेवन को प्रतिबंधित
करें
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सोडियम या नमक को सीमित मात्रा में लें
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ऐसे मौसम से बचें जिसमें नमक की मात्रा
अधिक हो
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घर का बना खाना खाने की कोशिश करें
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जैतून या नारियल के तेल जैसे स्वस्थ
तेलो में भोजन तैयार करें
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अपने रात के खाने में नमक लेना छोड़ दे
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बिना किसी नमक के ताजी या डिब्बाबंद
सब्जियों का सेवन करें
किडनी की बीमारी के लिए आयुर्वेदिक उपचार -
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है।
आयुर्वेद किडनी की समस्या जिसका लक्ष्य प्राकृतिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्वों
में उचिक इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण सामाप्त करना है। यह न केवल एक चिकित्सा
पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक
महत्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्वों के अनुरूप एक जीवनशैली है। यह जीवन कला
तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है। इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में
प्राकृतिक भोजन विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हल्की पक्की सब्जियां विभिन्न
बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती है। प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन
व्यक्तियों और गरीब देशों के लिए विशेष रूप से वरदान है।
आयुर्वेदिक उपचार में हर रोग को जड़ से खत्म करने की शक्ति होती है।
जहां सभी लोग किडनी की गंभीर बीमारी में एलोपैथी इलाज लेते हैं और तब एलोपैथी
डॉक्टर उन्हें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं,
लेकिन आयुर्वेदिक उपचार में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी का इलाज
किया जाता है। जी हां, कर्मा आयुर्वेदा भारत का एकमात्र
आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र, जो
किडनी की बीमारी को आयुर्वेद से खत्म करने में मदद करता है। इस अस्पताल में सन्
1937 से किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जाता है।
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