किडनी रोगी कौन से फल खाएं?
फल बहुत से पोषक
तत्वों से भरपूर होते हैं, यह रोगों से लड़ने में काफी मदद करते हैं। किडनी रोगी को
अपने आहार में फलों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। किडनी फेल्योर की बीमारी से जूझ
रहें रोगियों को कुछ खास फलों को ही अपने आहार में शामिल करना चाहिए। किडनी रोगी
सेब, ब्लूबेरी और कैनबेरी जैसे फलों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह फल
किडनी फेल्योर की बीमारी को दूर करने में काफी मदद करते हैं।
सेब के अंदर बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य लिए बहुत ही लाभदायक है।
सेब विटामिन C से भरपूर होता है। अन्य फलों के मुकाबले सेब में फाइबर प्रचुर मात्रा में
मिलता है। फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ
बनाएं रखने में हमारी मदद करता है। सेब में उपस्थित फाइबर और पॉलीफेनोल की
उपलब्धता अच्छी मात्रा में होती है।
सेब खाने के फायदें :
मधुमेह - सेब के नियमित
सेवन से हमारे रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रण में रहती है। सेब के सेवन से शरीर
में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ने लगती हैं, जिससे रक्त शर्करा काबू में आने लगता है। सेब
टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। एक शोध के मुताबिक, नियमित रूप से सुबह
नाश्ते में एक सेब खाने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 29% तक कम हो जाता है। सेब शरीर
में एंज़ाइम को स्टार्च में बदलने की बजाय शुगर में बदलता है, जिससे शरीर को काम करने
की ऊर्जा मिलती है, जिसके कारण शुगर की खपत हो जाती है।
मोटापा – रोजाना सुबह एक
सेब खाने से मोटापा जल्दी कम होता है। यदि आप दूध या दही के साथ नाश्ते में सेब
खाते हैं, तो यह काफी
असरदार साबित होता है। एक मध्यम आकार के सेब में 4 ग्राम फाइबर पाया जाता है। सेब
का सिरका भी मोटापा कम करने के काफी फायदेमंद होता है। वजन कम करने में लिए 1
गिलास गर्म पानी में 2 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर खाली पेट पीएं, इससे आपका वजन जल्दी ही
कम होने लगेगा। सेब का सिरका किडनी साफ करने का भी कार्य करता है।
कोलेस्ट्रॉल - सेब खाने से हमारा कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में रहता है। जिसके कारण हृदय से
जुड़ी बीमारियां नहीं होती। कोलेस्ट्रोल कम होने के कारण शरीर में रक्तसंचार सुचारु
रूप से होता है। सेब में पाए जाने वाले कई प्रकार के फायटो न्यूट्रियन्ट्स (Phyto Nutrients) हृदय की रक्षा
करने में सक्षम होते हैं। कोलेस्ट्रोल कम होने के चलते उच्च रक्तचाप की समस्या भी
नहीं होती।
क्रैनबेरी –
क्रैनबेरी को हिंदी में करौंदा कहा जाता है। क्रैनबेरी का वैज्ञानिक नाम
वैक्सीनियम मैक्रोकारन (Vaccinium Macrocarpon) है। यह एक छोटा सा फल होता है, जो खाने में खट्टा और
पूरी तरह से पक जाने के बाद मीठा हो जाता है। यह देखने में हलके गुलाबी या गहरे
गुलाबी रंग का होता है। क्रैनबेरी कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसके पोषक तत्व कई रोगों
से लड़ने में मदद करते हैं।
क्रैनबेरी खाने के फायदें :
यूरिन इंफेक्शन - यूरिन की जांच से हमारे पुरे शरीर की जानकारी मिलती है।
यूरिन में आने वाली किसी भी प्रकार की कोई भी खामी किडनी में दिक्कत होने की तरफ
इशारा करती है। कभी-कभी हमें यूरिन इंफेक्शन का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से
छुटकारा पाने के लिए आप करौंदे के जूस का सेवन कर सकते हैं। करौंदे के जूस में
विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट और सेलीसायलिक एसिड होता है, जो मूत्रपथ संक्रमण से निदान दिलाते हैं।
क्रैनबेरी जूस में प्रोएंथोसायनेडिंस होते हैं, जो ब्लैडर की वॉल पर बैक्टीरिया और कोशिकाओं को
मिलने से रोकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल - करौंदे के जूस से हम अपने अंदर बनने
वाले बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म कर सकते हैं। क्रैनबेरी में मौजूद पोलीफेनॉल्स तत्व
रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
क्रैनबेरी में मौजूद पॉलफिनॉल हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने वाले सिस्टम को
मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
ब्लूबेरी -
ब्लूबेरी एक स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है।
ब्लूबेरी के पोषक तत्व आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में मदद
करते हैं। ब्लूबेरी एंटीऑक्सी डेंट और फाइटोन्यू्ट्रिएंट्स का एक अच्छा स्रोत माना
जाता है। ब्लूबेरी आपको कई रोगों से बचा कर रखती हैं, यह किडनी रोगी के लिए काफी लाभकारी फल है।
ब्लूबेरी खाने के फायदें :
अगर आप किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप इस फल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
ब्लूबेरी आपको निम्नलिखित समस्याओं से बचाता है -
वजन –
ब्लूबेरी में फाइबर अच्छी
मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन दुरुस्त करने में मदद करता है। ब्लूबेरी में
घुलनशील फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो कि फाइबर का एक प्रकार है यह पानी में घुल
जाता है। घुलनशील फाइबर पाचन की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं, जिससे आपको जल्दी भूख
नहीं लगती और आप बार-बार खाने से बच जाते हैं। इसके आलवा इसमें कैलोरी बहुत कम
मात्रा में होती है, जिसके कारण आपका वजन नहीं बढ़ता।
मधुमेह – ब्लेबेरी मधुमेह को बढ़ने
से रोकने में मदद करती है। इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ती है, जिससे रक्त शर्करा का
स्तर गिरना शुरू हो जाता है। लेकिन अभी इस बात को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद हैं।
आप चिकित्सक की सलाह से मधुमेह में इसका सेवन कर सकते हैं।
उच्च रक्तचाप – ब्लूबेरी के नियमित सेवन से आप उच्च रक्तचाप की समस्या से
निजात पा सकते हैं। ब्लूंबेरी में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की अच्छीस मात्रा होती
है, यह सभी पोषक तत्व
उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखने मदद करते हैं। जिससे रक्त संचार ठीक होता है।
रक्त संचार सुचारू होने और सोडियम हटने से उच्च रक्तचाप की समस्या दूर हो जाती है।
उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण है।
सूजन कम करें - ब्लूबेरी सूजन कम करने में मदद करती हैं। ब्लूाबेरी में एंटीऑक्सीउडेंट और
एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण यह सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने
में प्रभावी माना जाता है। ब्लूबेरी में विटामिन ए और सी ऐसे घटक हैं जो एंटीऑक्सी
डेंट के रूप में कार्य करते हैं। जिससे सूजन संबंधी लक्षणों को दूर करने में मदद
मिलती है। किडनी खराब होने के कारण शरीर में सूजन आ जाती है, जिसके चलते रोगी को कई
दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मूत्र पथ संक्रमण दूर करें - मूत्र पथ संक्रमण
एक गंभीर समस्या है, सही समय पर उपचार ना किये जाने पर यह समस्या किडनी फेल्योर
का कारण बन सकती है। ब्लूबेरी के सेवन से मूत्र पथ संक्रमण की समस्या दूर होती है।
ब्लूसबेरी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो मूत्र पथ में मौजूद बैक्टीणरिया को
प्रभावी रूप से दूर कर सकते हैं। मूत्र पथ संक्रमण होने के दौरान ब्लूबेरी का सेवन
कर आप मूत्र संबंधी संक्रमण और अन्यू समस्या ओं से छुटकारा पा सकते हैं।
कोलेस्ट्रोल कम करें – ब्लूबेरी के सेवन से
कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रोल कम होने के कारण दिल से
जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके अंदर पेटेरोस्टिलबेन (Pterostilbene) नामक एक यौगिक
होता है, जो कोशिकाओं
द्वारा कोलेस्ट्रॉल को तोड़ने में मदद करता है।
“आप बताए गए फलों का सेवन आयुर्वेदिक औषधियों के साथ कर
किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। किडनी रोगी अपने आहार में
किसी भी प्रकार के आहार को शामिल करने से पहले चिकित्सक और आहार विशेषज्ञ से सलाह
लें।”
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा
किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
कर्मा आयुर्वेद की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में
इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। कर्मा आयुर्वेदा में डायलिसिस और किडनी
ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा पीड़ित को बिना
डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते
कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने
केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का
इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा
किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के
बिना।
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